Migrant's Pain
खडा था इन तपती सड़क पर अकेले,अपने घर अपने गाँव से दूर मेरे अपनो से दूर, आँखो मे आँसू थे पेट मे भूख थी और शरीर मे थकान पर दिल मे सिर्फ चाह थी घर जाने की, घूमता रहा यहा वहा मदद की आस लगाए जान कर दुख हुआ के जो हाथ जोड़ कर हमारा कीमती मत मांगने आये थे उन्हे अब सुनाई नही देता नाही दिखाई देता है।
छोड़ चुका था सारी उमीदे तय कर चुका था मेरा दिल के अब मौत शायद इन सड़क पर ही आयेगी पर कया पता था मेरा भगवान एक दिन खुद सोनू सूद बन कर आयेगा और हजारो को घर पोहचा जायेगा।
# Sonu Sood sir
#migrants saying
Comments
Post a Comment