Depression...(R.I.P Sushant singh rajput)
एक और बार डिप्रेशन ने बाजी मारी और एक और इंसान ने अपनी जिंदगी हारी माना की चोट इस बार गहरी है क्योकि हारने वाला अकेला नही हारा
बल्कि हारे है उसके करोड़ो चाहक पर यही खेल है डिप्रेशन एसे ही खेलता है और ये घटनाए हमे सोचने पर मजबूर कर रही है की क्या फायदा लाखो फॉलोवर्स का या हजारो फेसबुक फ्रेंड्स का, इन सबके बाद भी इंसान अकेला है। शायद जिमेदार हम ही है, जरा याद किया जाए आखरी बार हमने कब किसी अपने को चिंता मे देख कर उसे पूछा था की भाई क्या हुआ तुझे?. दुख के साथ कहना पड़ रहा है की जो आज ये बोल रहे है की कभी भी मुझे बताना मे सुनुंगा तुमे, यही लोग अपने भाई से भी नही पूछते की क्या परेशानी है तुझे। लड़ना अकेले ही पड़ता है यही सच है बदलती दुनिया का पर वादा किया जाए आज खुद से के गिरेंगे, हारेंगे मगर लड़ना नही छोडेगे।
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